Saturday, September 15, 2012

तब गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा......

जिंदगी के सफ़र में एक दिन मै कफ़न में सिल जाऊंगा
तब गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा

अल्फाजों से गर फूटे लावा तो बिलकुल भी नहीं घबराना
सुलगती चिंगारियों से तुम तब अपनी जीभ को नहलाना
तब अंगारे बन कर फूटूँगा जब आग को दे दिल जा
ऊंगा
और गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा

लाल किले पर जब एक शख्स हर साल यूं ही बहकायेगा
किसान का बेटा फिर यूँ ही दर- दर की ठोकरें खायेगा
फिर हिला लेना जुबान अपनी मै भी संग हिल जाऊंगा
और गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा

जब रोटी चाँद सी लगने लगे तब ये सिर उठा लेना
पेट पे बांधकर मोटी रस्सी और लाठी फिर उठा लेना
तब छील देना व्यवस्था को मै भी संग छिल जाऊंगा
गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा

नौजवान खो गया है अब शराब के खुले आहतों में
सोने की चिड़िया कैद हुई वेदेशी बैंको के खातों में
घोटालों का हिसाब नहीं मै भी बिन रसीद बिल जाऊंगा
गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा

सोने की चिड़िया ले आओ तब ही कुछ हो पायेगा
चाहकर भी कोई मजदूर फिर भूखा न सो पायेगा
मै भी किसी गरीब के महल में फूल बन खिल जाऊंगा
गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा

जिंदगी के सफ़र में एक दिन मै कफ़न में सिल जाऊंगा
तब गुनगुना लेना गीत मेरे मै अल्फाजों में मिल जाऊंगा
---रमेश चहल

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