Saturday, January 7, 2012

चाँद सूरज और धरती


चाँद और सूरज लड़ पड़े तेरे दीदार के पीछे
कौन है खुशनसीब एक दुसरे की टांगे खींचे

हारकर दोनों ने ली फिर अदालत की पनाह
धरतीमाँ को जज बनाया धूप चांदनी बनी गवाह
फिर अदालत शुरू हुई धरती ने मेज थपथपाई
अपनी बात रखने को पहले सूरज की बरी आई
सूरज ने गुमान में कटघरे में की कुछ यू चरचा
उसकी गरज से जल गया अदालत का हर परचा

बोला सुबह से शाम तक मै महबूब का दीदार करता हूँ
मजलिश सत्संग सुनता हूँ उस पे दिल जान से मरता हूँ
और चाँद तो अपनी किस्मत पे झूठा ही इतराता है
ये तो उनके दीदार भी कभी कभार ही कर पाता है
सूरज की इस बात पे धूप ने भी मोहर लगाई
फिर कटघरे में आने की चाँद की बारी आई
चाँद थोडा शरमाया
पर बिलकुल नही घबराया

बोला मानता हूँ चाँद तेरी धूप है मेरी चांदनी से वाईट
पर क्या तुने कभी देखी है मस्तो मस्त रूहानी रूबरू नाईट
हर रविवार को स्टेडियम के चक्कर लगाता हूँ
रूहानी शराब पीकर उसके साथ मै भी गाता हूँ
बांधकर घुंघरू पावों में मै झूम झूम कर नाचता हूँ
मान ना मान सूरज मै तुझसे ज्यादा काचे काटता हूँ

सुनकर उनकी दलीलें धरती को हाँसी आई
अपनी हाँसी बड़ी मुश्किल से वो रोक पाई

बोली दफा हो जाओ दोनों इस केस का कोई आधार नही
अरे जिसकी छाती पे रहे महबूब क्या उसका कोई अधिकार नही
मेरे शरीर पर जगह जगह उसके क़दमों के निशान है
अब तुम ही बताओ हम तीनो में कौन महान है ?
अब तुम ही बताओ हम तीनो में कौन महान है ?
अब तुम ही बताओ हम तीनो में कौन महान है ?



4 comments:

laziz dilli said...

chand surj dharti tino h guman main,
kah do unko aashikon ki kmi nhi es jhan main,

S@ndeep Ins@n said...

thanx bro dubara hmare liye available karwane ke liye.

Anonymous said...

awsome

Ramesh Chahal said...

thanx dosto bt aap se gujarish hai kiise share mat karna kyn ise wohi samjh sakta hai jo uska aashiq hai baki nhi