Thursday, June 14, 2012

कुछ लोग कहते है..........

कुछ लोग कहते है कि रमेश चहल कुछ खास लिखता है
कुछ पीछे से कहते है कि साला कोरी बकवास लिखता है

कोई कहता है कि इसे हर आदमी परेशान दिखता है
गर्भ में बिलखती बेटी और खेत में किसान दिखता है
कोई कहता है कि ये कल्पनाओ की खाता ही नही है
बात ही करता है बस इसे कुछ आता जाता ही नही है
कोई कहता है कि इसकी सोच इसकी उम्र से बड़ी है
इसे बस धोती दामन कुरता और पगड़ी की पड़ी है
कोई कहता है कि ये निरा पागल और बेदिमाग है
कोई कहता कि छोरे की कलम में आग ही आग है
कोई कहता है इसे प्यार का मतलब समझाओ
हुस्न और फूलो से कोई इसकी दोस्ती करवाओ
इसे भी कुछ हसीन सी बाते करनी आनी चाहिए
कुछ पंक्तियाँ इश्क की भी लिखी जानी चाहिए
इसे भी अहसास हो कभी किसी कि जुदाई का
खुदा कि इस नियामत और उसकी खुदाई का


मेरी माँ कहती है कि मैंने इसे दुआओ से पाया है
बाप कहता है कि नादानियों को मैंने ही पचाया है
बहन कहती है कि इसे मैंने बड़े ही नाजो से पाला है
दादी कहती है इसे किसी ने दिल लगा के ढाला है
बीवी कहती है कि इसको बस मै ही झेल रही हूँ
कैसे इसके साथ अपनी ये जिंदगी धकेल रही हूँ
बेटी कहती है कि पापा हमारे लिए चीज़ लाता है
पर पडोसी कहते है कि आफत के बीज लाता है
दोस्त कहते है कि ये निरा खरा और फक्कड़ है
कटने वाले कहते है कमीने में बहुत अक्कड़ है



धरती कहती है ये मेरे बेटे का बेटा है
कई बार मेरे रेत में ओंधे मुह लेटा है
जोहड़ कहता है कि मै इसे अच्छी तरह जनता हूँ
भैंसों की पूंछ बांधने वाले को मै खूब पहचानता हूँ
पीपल कहता है कि इसने मुझसे खूब छलांगे लगाई है
बरगद कहता है इसने मुझ पे चढ़ खूब बरबंटी खाई है
घर कहता है उस के बिन यहाँ कुछ सूनापन है
चूल्हा कहता है उस से लगाव है अपनापन है
गलियां कहती है मुआ अब यहाँ घूमता नही
बिन पिए अब इधर उधर फालतू झूमता नही
गाँव कहता है कि छोरा अब बड़ा हो गया है
गिर पड़ के ही सही पावों पे खड़ा हो गया है

मै किस कि सच मानू और किस किस को समझाऊ
किस से असलियत पूछूं और किस किस को बतलाऊ
मै मानता हूँ कि मै वो नही जो दिखता था
बाजार शब्द से नफरत थी पर बिकता था
मै सबकी जुबान पे एक लगाम लगाना चाहता था
एकमत कर दे सबको कुछ ऐसा गाना चाहता था
आज दिल कहता है कि तेरे लिए अब भी अरमान है
कोई है जिसकी वजह से ही तेरी आज पहचान है
उसका दर ही है जो सारी दुनिया से ही निराला है
तुझे उसने नवाजा है जो दुनिया बनाने वाला है
सब है उसके पास बस इशारे कि दरकार है
खोटी है सारी दुनिया वो ही सच्ची सरकार है
मेरी किस्मत अच्छी है सरेआम ये मै कहता हूँ
इंसानों से ही दोस्ती है और बेगमपुर में रहता हूँ
इंसानों से ही दोस्ती है और बेगमपुर में रहता हूँ

जागने में जो मजा है यारो,वो कहाँ आता है सोने में ....

लगता था कुछ दबा पड़ा है,मेरे दिल के कोने में I
कुछ ही दिन बचे है यारो,लम्बी तान के सोने में II

हर रोज झूठ बोला मैंने,उसे पूरी तरह से पाने को
सच इतना कड़वा निकला,पल लगे उसे खोने में I

दो आंसुओ की हकीकत, कुछ इस तरह करू बयां
उसे रुलाने में मजा आता है,मुझे आता है रोने में I

कदमो में अब जान नही,थक जाते है दो क़दमों पर
जिंदगी यू ही बीत गयी,इस दिल का बोझा ढ़ोने में I

दिल के लाल कपडे पर कुछ मैल पाप का आ बैठा
अश्कों से अगर रगडू भी,तो बरसो लगेंगे धोने में I

टकरे तो कह देना उसको,खुद की तरफ से ही बेशक
वो इश्क को खुदा कहता है,यकीं नही है जादू टोने में I

साये से बतियाते हुए,'चहल' जागता है तन्हाइयो में
जागने में जो मजा है यारो,वो कहाँ आता है सोने में II
- रमेश चहल

जिस दिन सोया हरफूल जागैगा

punjab k joga me gau mas ka buchadkhana chal rha tha jha hajaro gau kati gyi...... ghatna dil dahla gyi or yadd aayi ek surme ki.... Ch. Harphool Singh Julani Wale ki..... wo agar hpta aaj to shayad is dharti pr gau katne wale bhi na hote ...........uski yad me or parerna ki kalpna me likhi kuch panktiya aap k samne hai .........

जिस दिन सोया हरफूल जागैगा

सतलुज के खंटारै पै खड्या होकै एक महामाणस नै पुकारू सूं
गऊ माता तेरी कटण लाग री न्यू जोर जोर के रुके मारूं सूं
उठ हरफूल इब तो इस सतलुज की छाती पाड़
फेर तै गऊ के पापिया नै मार ज़मीन मै गाड़
तेरे बिना या गऊ माता आज अपणी पीछाण खोवै सै
लहू लुहान होई आज गाम के छल्या मै बेठी रोवै सै
आज इस की इज्जत की बिरान माटी होरी सै
सारी बात बताऊ तनै तेर तै क्यां की चोरी सै

कसाई लोग गऊ माँ नै काट काट कै नै बागावै सै
तेरी माँ का मांस रै हरफूल लोग चटखारे ले ले खावै सै
यूपी अर दिल्ली के माह आज निरे हाथे चालै सै
मारण आली मशीन मै गऊ नै पूरी की पूरी घालै सै
चर्बी नियारी ख़ाल नियारी हर चीज़ छांटी जावै सै
डकरे कर कर हडिया की भी सानी काटी जावै सै
लोग गऊ नै माता कहण का खुला मजाक उड़ावै सै
गौमास बेचण के निरे खुले इश्तिहार लगावै सै

गऊ माता का बदला हरफूल कोई नी लेणा चाहंदा
उस के दूध के कर्जे का मोल कोई नी देणा चाहंदा
आज सारे के सारे नीरी सुखी धाक चाहवै सै
गऊ माँ कै नाम पै घनखरे सूखे पीसे खावै सै
रै सारे हिन्दू सोये पड़े सै दिख जावै नुहार काश तेरी
इतनी बड़ी सतलुज के माह कित तै टोहवू लाश तेरी
सुणदा हो जे सुण ले आज बखत नै तेरी लोड़ सै
जन्म ले ले एक बै फेर यो सब बातां का जोड़ सै
गऊ माता की रे रे माटी तनै क्यूकर दिल पै सह ली
जन्म ले कै दोबारा आजा कितनी बै तेरे तै कह ली

जे इब भी नही आया तो यो दूध का कर्ज कोण चुकावैगा
अर कोण गऊ नै माँ कहगा और कोण तेरे आहले गावैगा
फेर इस धरती तै सबकी माँ ए खत्म हो ज्यागी
माँ के बिन बेट्या की भी बिरानमाटी हो ज्यागी
माँ की छाती के घा मिटा कै उसकी वाए इज्जत कराज्या
इस रोंदी बिल्खादी माँ नै आज्या तू एक बै आके बीराज्या
यो तू हे कर सके सै हरफूल और किसे नै यो गम नही
तू हे फांसी चढ्या माँ खातर और किसे मै यो दम नही
लोग गऊ की तो के रुखाल करेंगे वो तो तनै ए भूल गये
न्यू कह सै एक उस बरगे पाता नी कितने हरफूल गये

आ लोगों हरफूल तो उसकी माँ नै एक ए जणया था
जो गरीब आदमी अर गऊ माता का रुखाला बणया था
लाचार अर कमजोर के हक़ खातर जो छाती ताण कै लड्या था
पहला आदमी था इतिहास का जो बेजुबाना खातर फांसी चढ्या था

1896 की साल मै एक कसुता चाला होया था
जाटणी की कोख तै एक पैदा रुखाला होया था
भिवानी के बारवास गाम की माथा कै लारया धूल था
श्योरान वंश का खून रगां मै, नाम उसका हरफूल था
हरफूल जाट जुलानी वाले के नाम तै जो मशहूर होया
जो उस तै टकराया तो वो पहाड़ भी चकनाचूर होया
गरीबा का हमदर्द था वो गऊ माँ का असली बेटा था
जो भी उल्टा चाल्या उसनै भर दिया सबका पेटा था

फेर रोना ओडेये का ओडै कुछ लोग सियासत मै इसे बडगे
जूत लगने चाहिए थे जिस कै आज वै बुत बण बण खड्गे
अर हरफूल कै नाम आज कोई भी कॉलेज अर पाठशाला नही
गऊ के असली बेटे कै नाम आज एक भी गऊशाला नही
नही चाहिए कोई पत्थर की मूर्ति बस उसनै दिल मै बसा ल्यो रै
ठाकै नै बन्दूक उसकी तरिया उसकी गऊ माता नै बचा ल्यो रै
जे कर सको न्यू तो उन कसाईयां का खत्म सब मूल होज्यागा
थारे हर एक एक कै भीतर फेर तै जिन्दा जाट हरफूल होज्यागा
जे या होज्या तो फेर माँ कानी कड़वा लखान की किसकी हिम्मत होवैगी
रै दर दर की बिरान होई गऊ माता उस दिन फेर लम्बी तांण कै सोवैगी
फेर अपणी गऊ माता कै किते कांडा भी नी लागैगा
जिस दिन थारे सारया के भीतर सोया हरफूल जागैगा