चाँद और सूरज लड़ पड़े तेरे दीदार के पीछे
कौन है खुशनसीब एक दुसरे की टांगे खींचे
हारकर दोनों ने ली फिर अदालत की पनाह
धरतीमाँ को जज बनाया धूप चांदनी बनी गवाह
फिर अदालत शुरू हुई धरती ने मेज थपथपाई
अपनी बात रखने को पहले सूरज की बरी आई
सूरज ने गुमान में कटघरे में की कुछ यू चरचा
उसकी गरज से जल गया अदालत का हर परचा
बोला सुबह से शाम तक मै महबूब का दीदार करता हूँ
मजलिश सत्संग सुनता हूँ उस पे दिल जान से मरता हूँ
और चाँद तो अपनी किस्मत पे झूठा ही इतराता है
ये तो उनके दीदार भी कभी कभार ही कर पाता है
सूरज की इस बात पे धूप ने भी मोहर लगाई
फिर कटघरे में आने की चाँद की बारी आई
चाँद थोडा शरमाया
पर बिलकुल नही घबराया
बोला मानता हूँ चाँद तेरी धूप है मेरी चांदनी से वाईट
पर क्या तुने कभी देखी है मस्तो मस्त रूहानी रूबरू नाईट
हर रविवार को स्टेडियम के चक्कर लगाता हूँ
रूहानी शराब पीकर उसके साथ मै भी गाता हूँ
बांधकर घुंघरू पावों में मै झूम झूम कर नाचता हूँ
मान ना मान सूरज मै तुझसे ज्यादा काचे काटता हूँ
सुनकर उनकी दलीलें धरती को हाँसी आई
अपनी हाँसी बड़ी मुश्किल से वो रोक पाई
बोली दफा हो जाओ दोनों इस केस का कोई आधार नही
अरे जिसकी छाती पे रहे महबूब क्या उसका कोई अधिकार नही
मेरे शरीर पर जगह जगह उसके क़दमों के निशान है
अब तुम ही बताओ हम तीनो में कौन महान है ?
अब तुम ही बताओ हम तीनो में कौन महान है ?
अब तुम ही बताओ हम तीनो में कौन महान है ?
4 comments:
chand surj dharti tino h guman main,
kah do unko aashikon ki kmi nhi es jhan main,
thanx bro dubara hmare liye available karwane ke liye.
awsome
thanx dosto bt aap se gujarish hai kiise share mat karna kyn ise wohi samjh sakta hai jo uska aashiq hai baki nhi
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