Wednesday, October 27, 2010

दो बेटियां


मुस्कान मेरा बड़ा बेटा है और सपर छोटा । साढ़े चार साल की छोटी सी उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर पर स्वरणपदक जीत कर मुस्कान ने रिकार्ड बनाया है।

दो बेटियां

दुसरे नंबर पे नाम आता है सपर का । अपने नाम के अनुरूप ही अनोखी लड़की है ये भी। न पढाई का फिकर और न ही किसी बात को लेकर जिद्द या झगडा। इसको लगता है की इसकी मम्मी साडी जिंदगी रोटी बनाये जाएगी और ये यूं ही खाती रहेगी।
सव भाव की बढ़ी ही भोली और मस्त बच्ची है बावली।

दो बेटियां

दोनों की जोड़ी भी खास है । आपस में लड़ लेती है पर अगले ही पल दोनों साथ में गुडा गुडी का खेल भी खेल लेती है।

मेरी दो बेटियां


सपर का चेहरा हंसने और हंसाने वाला ही है । रोते हुए ये कभी अच्छी नहीं लगती....

Friday, July 23, 2010

Thursday, June 24, 2010

Facebook | Ramesh Chahal

Faceook Ramesh Chahal: "khap panchayaton k faisale kahan tak sahi hote hai or court kahan kahn galat hota hai... is par sabhi k vichar sadar aaamantrit hai ..."

Wednesday, April 7, 2010

नक्सलवाद मनुष्य का विरोधी है

यदि समाजवादी आंदोलन की बुनियाद में मानव प्राण के प्रति सम्मान था तो फिर निरीह, निर्दोष लोगों को खुलेआम कत्ल करने की वैचारिक वैधता नक्सलियों ने कहाँ से ढूँढ़ निकाली। यह भी प्रकारांतर से सत्तावादी मानसिकता का परिणाम हैं । इतिहास में गवाहियाँ है कि भारतीय परंपरा में समाज के सभी वर्गों में समानता की स्थापना के लिए संचालित हर वैचारिक आंदोलन को अंततः जनता का भरपूर साथ मिलता रहा है । पर सलवा जुडूम जैसा जन आंदोलन साबित करता है कि नक्सलवाद मनुष्य का विरोधी है । जैसा कि नक्सली मानते हैं कि वे जनता के अधिकारों के पहरुए हैं और उन्हें शोषण से मुक्त करना ही उनका लक्ष्य है तो वे उसी शोषित जनता की हत्या की राजनीति क्यों चलाते हैं । यहाँ उनकी यह करतूत क्या उन्हें दक्षिणपंथी फासिज्म से नहीं जोड़ देती है? नक्सली जिस रास्ते पर चल रहे हैं उससे अंतत: लाभकारी होगा वॉर इंडस्ट्री को। खास कर उन्हें जो हथियारों की चोरी-छिपे भारत में अस्त्र-शस्त्र की आपूर्ति को निरंतर बनाये रखना चाहते हैं । इनकी घोर क्रांतिकारिता जैसे शब्दावली ही बकवास है। उसे मानवीय गरिमा की स्थापना की लड़ाई कहना नक्सलवाद का सबसे बड़ा झूठ है । अदृश्य किंतु सबसे बड़ा सत्य तो यही है कि वह सत्ता प्राप्ति का गैर प्रजातांत्रिक और तानाशाही (अ)वैचारिकी का हिंसक संघर्ष है ।