Sunday, May 1, 2011

" थैंक यू पिता जी!"




आज सुबह मुंह पर मुस्कान के नन्हे नन्हे हाथों के स्पर्श सेनींद खुली ! ऑंखें खोली तो वो सामने स्कूल ड्रेस में बैठीमुस्कुरा रही थी !. एकदम बोली- "थैंक यू पापा !"
मै हैरान था,कयोंकि बात बात पर और हर चीज़ के लिएजिद्द कर मुझ से झगड़ने वाली मुसी (मुस्कान) आज मुझेबेवजह ही थैंक यू बोल रही थी ! मै सतर्क हो गया ! ... मैंने
... शंकित नजरों से उसे देखते हुए पूछा -"आज क्या चाहिए तुझे ?"
जवाब में नाक फुलाकर वो बोली - " कुछ नहीं चाहिए मुझे ! बस थैंक यू बोलना था आप को और मम्मी को सो बोल दिया.. मै जा रही हूँ स्कूल !" कहकर वह अपने पुराने अंदाज़ में बैग उठाकर स्कूल के लिए निकल ली .....
"क्या हुआ इसे आज ?" मैंने उसकी मम्मी से पूछा !
"कुछ नहीं ! कन्या भ्रूण हत्या पर सत्संग की पिताजी वाली सीड़ी आज सुबह सुबह ध्यान से सुन रही थी ! उस के बाद मुझ से लिपट गयी और बोली मम्मी थैंक यू ! फिर आप के पास चली आई !" उसकी मम्मी ने हँसते हुए बताया !
मै अब पूरा माजरा समझ चुका था ! सामने ही दीवार पर पिताजी का सवरूप हंस रहा था ! मै भी हंस दिया और बोला-" थैंक यू पिता जी जो इस काबिल बनाया ! "