Sunday, December 8, 2013

मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ ...... ।।




मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो।
मुझे उठाने से पहले थोडा सा बस सबर करो।।

गुड से ज्यादा मीठी हूँ गोलियों से ज्यादा तीखी हूँ।
बारूद सी स्याही संग रह कर एक ही बात सीखी हूँ।
बुराई के संग जाकर कभी जीवन न बदतर करो।
मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो ।।

मेरा लिखा सच जीता है झूठ सदा ही विष पीता है।
कैसे - कैसे कल बीता है.य़े मैंने ही लिखी गीता है।
आज भी बेघर सीता है उसको न दर बदर करो।
मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो ।।

राम लक्ष्मण आज है जो मैं वाल्मीकि के साथ गयी।
पांडव आज भी ज़िंदा है जब मैं व्यास के हाथ गयी।
महाभारत रामायण से सीखो अब तुम न ग़दर करो।
मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो ।।

लहू में डूब कर कभी कभी क्रांति नयी दे जाती हूँ।
आतंक की कैदी होकर मैं चीखती और चिल्लाती हूँ।
मै भी रोती पछताती हूँ सबको ही ये खबर करो।
मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो ।।

गलत हाथों में चली गयी हूँ यही दर्द अब गहरा है।
जंग लग गया पड़े पड़े सही हाथों पे अब पहरा है।
राई का पहाड़ बना टीवी पे यूँ ना चबर चबर करो।
मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो ।।

जब भी कड़वे सच से मेरा साक्षात्कार हुआ है।
तब तब लोगो चोराहे पे मेरा बलात्कार हुआ है।
रहम करो मुझपर अब और न तुम जबर करो।
मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो ।।

मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ लोगो मेरी कदर करो।
मुझे उठाने से पहले थोडा सा बस सबर करो।।
- --रमेश चहल।

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