RAMESH CHAHAL ASSOCIATE EDITOR of sach kahoon
Monday, November 10, 2008
किसान का बेटा सूं
किसान का बेटा सूं
गरीबी का दोलरा ओढ़ कै मै कई बार लेटया सूं ।
तंगी मंदी आर दर्द तै कई बार फेट्या सूं ।
लोगां नै कमा कै आर खुद
पै कुछ
नी,
आज फकर करूँ के रोऊँ र मै एक किसान का बेटा सूं ।
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