Thursday, February 14, 2013

दो बेटियां

वो न कभी रूठती हैं और न ही कभी तकरार करती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।। 

 
मम्मी की सच्ची झूठी शिकायत होती हैं कुछ बस्ते में,
हाथ में आ छूट जाती हैं कभी महंगे में कभी सस्ते में,
कभी पीछे मुड़ मुड़ देखती हैं वो चलते चलते रस्ते में  
दोनों ही फिर खो जाती हैं गुड मोर्निंग और नमस्ते में 
स्कूल बस तक भी वो दोनों अकेला जाने से डरती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।। 

बड़ी थोड़ी सियानी है तो छोटी उतनी ही भोली है ,
साथ रहती है दोनों ऐसे जैसे कोई दामन चोली है ,
एक जाग ले रात रात भर तो दूसरी नींद की गोली है ,
सहेलियों की गिनती नहीं यूँ तो पूरी की पूरी टोली है ,
तकिया बनाकर टैडी का अब भी सिर नीचे धरती है ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।। 

चिड़ि कौवा भैंस पापा कभी हमारे साथ भी उड़ा दो ,
खेल में संग हमारे कभी गलत ऊँगली भी उठा दो, 
या फिर पापा हमारा बस एक इतना ही कहा पुगा दो ,
अपने जैसा हमारे लिए कोई रबर का खिलौना ला दो, 
रजाई में मुह देकर कभी कभी सिसकियाँ भी भरती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।। 

कब फ्री होवोगे पापा एक दिन छोटी ने सवाल कर लिया ,
मै बोला "तब बेटा,जब चार बन्दों ने मुझे कंधे धर लिया" ,
इस मजाक को छोटे से दिल ने अंदर अंदर ही जर लिया ,
"तो फ्री न होना प्लीज़"कह उसने बस्ता कंधे पे धर लिया,
और मै सोचता था की बेटियां हर बात कहाँ समझती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।। 

बेटी तो बेटी है दोस्तों वो तो हर कहना मान लेती हैं, 
हरकत को बिन् बोले कितना गहरा पहचान लेती है ,
चिड़िया पराये आँगन की ये कड़वा सच जान लेती हैं ,
बाप के लिए सदा दुआओ की एक चादर तान लेती है ,
कदम कदम पर जीती है और कदम कदम पर मरती है।
दो बेटियां रात को घर पे  बस मेरा  इंतजार करती हैं ।। 

वो न कभी रूठती हैं और न ही कभी तकरार करती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।। 
                                                          -रमेश चहल 

5 comments:

Unknown said...

Hats off sir har ek shabad bhut hi ache tarike se mala me piroya hai very very nice poem.......

Unknown said...

no cmnt bhai g...i nevr heard such type of poem...gr8 wording....
schi pyare papa g ki rehmat h..

Amit said...

आपने तो भाई जी दिल खोलकर रख दिया, सची में बहुत बढ़िया और अच्छा पिरोया है शब्दों को आपने रिश्तो की माला में !!

Tarsem Insan said...

'डेरा सच्चा सौदा' समाज-सेवा का अद्भुत जज्बा समेटे हुए मानवता की भलाई के लिए ऐसे-ऐसे अद्वितीय उदहारण प्र...स्तुत कर रही है , जो अपने आप में सराहनीय हैं | देश-विदेश में जहाँ कहीं भी किसी तरह की कोई विपदा आई , डेरा सच्चा सौदा के लोग इंसानियत के पहरेदार बनके मजबूत इरादों के साथ डटे नजर आए |
1.
एकम-सुखम:- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने के लिए 'हम एक हमारा एक काफी, वरना दो के बाद माफी' के अनुसार चलने की प्रेरणा देना।
2.
कुल का क्राउन:- परिवार के तहत यदि लडक़े के दो या दो से अधिक भाई है तो सहमति से बेटियों की भांति बेटों को ससुराल में जाकर रहना और सास-ससुर की माता-पिता की तरह सेवा करना अर्थात् पितृ वंश के साथ मातृ वंश चलाने की ऐतिहासिक मुहिम।

Unknown said...

👍