Thursday, June 14, 2012

जागने में जो मजा है यारो,वो कहाँ आता है सोने में ....

लगता था कुछ दबा पड़ा है,मेरे दिल के कोने में I
कुछ ही दिन बचे है यारो,लम्बी तान के सोने में II

हर रोज झूठ बोला मैंने,उसे पूरी तरह से पाने को
सच इतना कड़वा निकला,पल लगे उसे खोने में I

दो आंसुओ की हकीकत, कुछ इस तरह करू बयां
उसे रुलाने में मजा आता है,मुझे आता है रोने में I

कदमो में अब जान नही,थक जाते है दो क़दमों पर
जिंदगी यू ही बीत गयी,इस दिल का बोझा ढ़ोने में I

दिल के लाल कपडे पर कुछ मैल पाप का आ बैठा
अश्कों से अगर रगडू भी,तो बरसो लगेंगे धोने में I

टकरे तो कह देना उसको,खुद की तरफ से ही बेशक
वो इश्क को खुदा कहता है,यकीं नही है जादू टोने में I

साये से बतियाते हुए,'चहल' जागता है तन्हाइयो में
जागने में जो मजा है यारो,वो कहाँ आता है सोने में II
- रमेश चहल

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