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Monday, May 9, 2011
विरोध जरुरी है
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हरियाणा यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट के रेवाड़ी में आयोजित सेमिनार में शामिल होने का मौका मिला। कैप्टेन अजय यादव वित् मंत्री हरियाणा सरकार से भी रु बरु होने का मौका मिला। एक मित्र ने वहा अपने संबोधन में कहा कि हम पत्रकारों को आपस में एक दुसरे के दुसरे पे कीचड़ नहीं उछालना चाहिए और एक दुसरे के खिलाफ खबर नहीं लगनी चाहिए । मुझे काफी अटपटा लगा और खुद को नहीं रोक पाया । मीडिया समाज का आइना है ये तो सही है पर इस आइने को भी आइना दिखाने कि जरुरत है। कई अवांछित लोग इस क्षेत्र में घुसपैठ कर चुके है और वो सिर्फ बदनाम ही कर रहे है हमें। इस पवित्र क्षेत्र कि साख बचाए रखने के लिए अब जरुरी हो जाता है कि हम उन लोगों को खदेड़े ताकि समाज सेवा के नाम पे शुरू हुई पत्रकारिता बदनाम ना हो। आज उन लोगों की वजह से लोग हमसे डरने लगे है। पत्रकारों को सरेआम डाकू कह क बुलाया जाने लगा है । इसके जिम्मेदार हम लोग भी तब बन जाते है जब हम उनका विरोध नहीं करते और उन्हें पत्रकारिता कि आड़ में गलत कार्य करने देते । परिणाम सवरूप हम सब बदनाम होते है। सो जरुरी है उन लोगो का विरोध जो इस पाक क्षेत्र को नापाक बनाने में लगे है...
Sunday, May 1, 2011
" थैंक यू पिता जी!"
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आज सुबह मुंह पर मुस्कान के नन्हे नन्हे हाथों के स्पर्श सेनींद खुली ! ऑंखें खोली तो वो सामने स्कूल ड्रेस में बैठीमुस्कुरा रही थी !. एकदम बोली- "थैंक यू पापा !"
मै हैरान था,कयोंकि बात बात पर और हर चीज़ के लिएजिद्द कर मुझ से झगड़ने वाली मुसी (मुस्कान) आज मुझेबेवजह ही थैंक यू बोल रही थी ! मै सतर्क हो गया ! ... मैंने ... शंकित नजरों से उसे देखते हुए पूछा -"आज क्या चाहिए तुझे ?"
जवाब में नाक फुलाकर वो बोली - " कुछ नहीं चाहिए मुझे ! बस थैंक यू बोलना था आप को और मम्मी को सो बोल दिया.. मै जा रही हूँ स्कूल !" कहकर वह अपने पुराने अंदाज़ में बैग उठाकर स्कूल के लिए निकल ली .....
"क्या हुआ इसे आज ?" मैंने उसकी मम्मी से पूछा !
"कुछ नहीं ! कन्या भ्रूण हत्या पर सत्संग की पिताजी वाली सीड़ी आज सुबह सुबह ध्यान से सुन रही थी ! उस के बाद मुझ से लिपट गयी और बोली मम्मी थैंक यू ! फिर आप के पास चली आई !" उसकी मम्मी ने हँसते हुए बताया !
मै अब पूरा माजरा समझ चुका था ! सामने ही दीवार पर पिताजी का सवरूप हंस रहा था ! मै भी हंस दिया और बोला-" थैंक यू पिता जी जो इस काबिल बनाया ! "
आज सुबह मुंह पर मुस्कान के नन्हे नन्हे हाथों के स्पर्श सेनींद खुली ! ऑंखें खोली तो वो सामने स्कूल ड्रेस में बैठीमुस्कुरा रही थी !. एकदम बोली- "थैंक यू पापा !"
मै हैरान था,कयोंकि बात बात पर और हर चीज़ के लिएजिद्द कर मुझ से झगड़ने वाली मुसी (मुस्कान) आज मुझेबेवजह ही थैंक यू बोल रही थी ! मै सतर्क हो गया ! ... मैंने ... शंकित नजरों से उसे देखते हुए पूछा -"आज क्या चाहिए तुझे ?"
जवाब में नाक फुलाकर वो बोली - " कुछ नहीं चाहिए मुझे ! बस थैंक यू बोलना था आप को और मम्मी को सो बोल दिया.. मै जा रही हूँ स्कूल !" कहकर वह अपने पुराने अंदाज़ में बैग उठाकर स्कूल के लिए निकल ली .....
"क्या हुआ इसे आज ?" मैंने उसकी मम्मी से पूछा !
"कुछ नहीं ! कन्या भ्रूण हत्या पर सत्संग की पिताजी वाली सीड़ी आज सुबह सुबह ध्यान से सुन रही थी ! उस के बाद मुझ से लिपट गयी और बोली मम्मी थैंक यू ! फिर आप के पास चली आई !" उसकी मम्मी ने हँसते हुए बताया !
मै अब पूरा माजरा समझ चुका था ! सामने ही दीवार पर पिताजी का सवरूप हंस रहा था ! मै भी हंस दिया और बोला-" थैंक यू पिता जी जो इस काबिल बनाया ! "
जब मैंने वहा खुद को महसूस किया........... रमेश चहल
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कल रात शाह सतनाम जी बाल शिक्षा आश्रम में आयोजित रंगोली गायन प्रतियोगिता में बतोर अतिथि शामिल होने का अवसर मिला और सुर्रों के नन्हे नन्हे सरताजों को भी सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ... प्रतियोगिता इतनी मजेदार और कठिन होगी इसका अंदाज़ा पूर्व में मुझे नहीं था. एक से बढकर एक फनकार मौजूद था वहां .... उनकी आवाज़... के आगे क्या लिटल चैम्प और क्या इंडियन आइडल सब पता नहीं क्यों फीके से लग रहे थे ... मुझे लगा कि ये होनहार वहां जाकर जरुर धूम मचा सकते है.. प्रतियोगिता के दौरान दर्शक दीर्घा से भी कमेन्ट कई बार आये जिन्होंने हंसने पर मजबूर कर दिया.इन कॉमेंट्स को सुनकर महसूस हुआ कि इस दर्शक टोली में मै आज भी कही न कही जरुर बैठा हूँ .... कयोंकि दर्शकों में बैठकर कमेन्ट करना मेरी भी ये आदत रही है ....
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